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We are always connected to God …..

ReEvaluation
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हर किसी को मैंने सुना है ये पूछते हुए कि क्या भगवान् है….? क्या वह हमारी प्रार्थनाएं सुनता है…? मैं कहूँगी हाँ है और हमारी हर एक बात उस तक पहुँचती है…. आपको एक वाकया सुनती हूँ…. मैं अपने इंजीनियरिंग के प्रथम वर्ष में थी.. हम लोगों के लिए fresher party organise की गयी… उसमे कुछ cultural programs भी होने थे…. पहले तो मैं ज़रा भी interested नहीं थी उस कार्यक्रम का हिस्सा बनने में लेकिन पार्टी के ठीक ३-४ दिन पहले एक senior आई मेरे पास उन्होंने कहा साधना तुम्हे कोई सरस्वती वंदना आती है…? मैंने कहा हाँ (as i am a big fan of maa शारदा…… 🙂 ) यहाँ तक भी मैंने कुछ नहीं सोचा था और मैंने उन्हें एक सरस्वती वंदना लिख कर दे दी! कुछ समय बाद वो फिर मेरे पास आई और बोली तुम सरस्वती वंदना गाओगी..? मैंने पूछ और कौन कौन है इसमें…. उन्होंने बताया ४ लोग और हैं…. मैंने कहा ठीक है…. अब हम लोगो ने साथ में थोड़ी rehearsal की…. जिस क्रम में हमे खड़ा होने को कहा गया था उसमे मुझे सबसे बाद में stage पर जाना था अब यहाँ पर मैंने सोचा काश stage पर सबसे पहले मै जाऊं…. फिर इस ख्याल को दिमाग के कोने में कही रख दिया….. अब दिन था fresher पार्टी celebrate करने का….. हम लोगो का नाम announce किया गया सरस्वती वंदना के लिए….. पांचो लडकिया पहुंची stage के पास….. जिस क्रम में announcement हुआ था अब हमे उसी क्रम में stage पर जाना था…… now guess what …….? मैं पहली लड़की थी stage पर जाने वाली….. मन ही मन मैंने शुक्रिया अदा किया माँ का और सरस्वती वंदना गाई…. !!!

ये तो था माँ का प्यार अब सुनिए बाबा का प्यार….

अब मैं दूसरे वर्ष में थी लेकिन अपने घर कानपुर में ……. गर्मियों का मौसम था….. मैं छत पर अकेली बैठी थी घर के मोबाइल साथ में लेकर…. माँ kitchen में थी और पिताजी शाम की पूजा कर रहे थे! यही कोई 8 बज रहा होगा उस वक़्त !! घर में धार्मिक माहौल होने की वजह से मन में ईश्वरके लिए आस्था हमेशा ही रही है! और शिव जी से मुझे कुछ ज्यादा ही प्रेम है सो मैं आंखे बंद कर “ॐ नमः शिवाय” का जाप करने लगी फ़ोन को अपने साइड में रख कर…… काफी देर तक बोलती रही फिर आँखे बंद रखते हुए ही साइड में फ़ोन खोजने लगी…. थोडा हाँथ दूर दूर तक किया पर शायद अंदाजा नहीं लगा की कहा रखा था तो वो नहीं मिला…. आखिर में मुझे आँखे खोलनी ही पड़ी….. मैंने देखा…. मुझसे १० इंच की दूरी पर करीब २ फीट का सांप बैठा हुआ था (जानकारी के लिए बता दूं छत पर कही ऐसा कुछ नहीं था जहाँ वो छुप कर बैठ सके) मैं चौंक कर उठी…. बड़ी जोर से चिल्लाई…. फिर तो वो चला ही गया….. मैं सोच रही थी ये क्या हुआ….. आज तक समझ नहीं आया…..

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