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कल मैं 9 बजे सोकर उठी…. आखिर सन्डे था और पूरे ६ दिनों के बाद आया था…. तो नींद आये न आये पर देर से ही उठना है…. याद था कि आज Father ‘s Day है…!! तकरीबन १२ बजे घर फ़ोन किया माँ पिताजी को….. पिताजी ने ही फ़ोन उठाया…. जय माता दी हुई…. फिर मैंने बहुत energy से कहा happy Father ‘s day पिता जी….. !! पिताजी ने कहा ‘क्या’….. मैंने फिर से कहा….. तो पिताजी ने कहा थैंक्यू बेटा….. फिर उन्होंने पूछा ये father ‘s day कब से मनाने लगे….. पहले तो नहीं होता था….. मुझे थोड़ी हंसी आई…. मैंने कहा हाँ पिताजी ये सब आजकल ज्यादा मनाने लगे हैं….. आजकल सारे डे मनाये जाते हैं…..!!
मेरे लिए हर वो दिन father ‘s day होता है जब मैं अपने घर से दिल्ली आती हूँ….. वो पूरा दिन मेरे पिताजी को ही समर्पित होता है….. सुबह से लेकर ट्रेन छूटने तक….. यहाँ तक कि वो एक दो दिन पहले से ही मुझे अपने साथ रखने लगते हैं….. कही जाना होता है तो पूछते हैं यहाँ चलोगी…. इस मंदिर चलोगी….. वहां चलोगी….. ज्यादा से ज्यादा वक़्त हम दोनों ही साथ बिताते हैं….. उस वक्त तो वो मुझे मेरी माँ से भी बात नहीं करने देते….. अगर मैं रसोई में हूँ तो बुला लेते हैं अपने पास…..बतियाने के लिए…… और हम दोनों ही मस्त होकर बातें करते हैं….. हंसी मजाक….. गंभीर बातें…. अपने दोस्तों की बाते…. उनके पड़ोसियों की बातें….. कुल मिलकर ज़िन्दगी से जुडी हर बात करते हैं हम लोग….. बड़ा मज़ा आता है…… !!
काफी पहले एक कविता लिखी थी…. अपने पिताजी के जन्मदिन पर….. आज यहाँ आप सभी के सामने रखना चाहती हूँ…. !!
एक आरज़ू है माँ शारदा से, एक तमन्ना है दिल में
बेटी आपकी ही बनूँ मैं अपने हर जीवन में,
उठाना सिखाया, चलना सिखाया, और आज,
अपने पैरों पे खड़ा कर दिखाया,
विनती है माँ से, करे आपकी लम्बी उमर,
और आपका प्यार, हम सब को मिले जीवन भर,
जन्मदिन की मुबारक घड़ियाँ, खुशियाँ लाये आपके जीवन में,
इस वर्ष ये शुभकामना है, हम सब के मन में……. !!
हम तीनो भाई बहन की आदत है कि हम जब भी अपने माँ पिताजी को कुछ भी लिख कर देते हैं…. या कोई गिफ्ट देते हैं…. या कोई ग्रीटिंग कार्ड देते हैं…. तो तीनों की तरफ से देते हैं…. इसीलिए इस कविता में भी “हम सब” लिखा है……
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